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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 13: सिद्ध पुरुष का आचरण
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श्लोक 20
श्लोक
7.13.20
श्रीनारद उवाच
\स इत्थं दैत्यपतिना परिपृष्टो महामुनि: ।
स्मयमानस्तमभ्याह तद्वागमृतयन्त्रित: ॥ २० ॥
अनुवाद
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नारद मुनि ने आगे कहा : जब दैत्यराज प्रह्लाद महाराज उस साधु पुरुष से इस तरह से प्रश्न कर रहे थे तो वह उनके मुँह से निकले मधुर और ज्ञानपूर्ण शब्दों की अमृत वर्षा से मोहित हो गया और मुस्कुराते हुए प्रह्लाद महाराज की जिज्ञासा का उत्तर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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