श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.12.9 
 
 
नन्वग्नि: प्रमदा नाम घृतकुम्भसम: पुमान् ।
सुतामपि रहो जह्यादन्यदा यावदर्थकृत् ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  स्त्री अग्नि के समान होती है और पुरुष घी के घड़े के समान। इसलिए पुरुष को अपनी पुत्री के साथ भी एकांत में नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार उसे अन्य स्त्रियों की संगति से भी बचना चाहिए। स्त्रियों से केवल आवश्यक काम के लिए ही मिलना चाहिए, अन्यथा नहीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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