केशप्रसाधनोन्मर्दस्नपनाभ्यञ्जनादिकम् ।
गुरुस्त्रीभिर्युवतिभि: कारयेन्नात्मनो युवा ॥ ८ ॥
अनुवाद
यदि गुरु पत्नी जवान हो, तो युवा ब्रह्मचारी को चाहिए कि वह न तो उनसे अपने बाल कढ़वाए, न ही शरीर में तेल मालिश करवाए और न ही वो उन्हें माँ की तरह प्यार से स्नान कराने दे।