श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  7.12.8 
 
 
केशप्रसाधनोन्मर्दस्‍नपनाभ्यञ्जनादिकम् ।
गुरुस्त्रीभिर्युवतिभि: कारयेन्नात्मनो युवा ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि गुरु पत्नी जवान हो, तो युवा ब्रह्मचारी को चाहिए कि वह न तो उनसे अपने बाल कढ़वाए, न ही शरीर में तेल मालिश करवाए और न ही वो उन्हें माँ की तरह प्यार से स्नान कराने दे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.