श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  7.12.5 
 
 
सायं प्रातश्चरेद्भ‍ैक्ष्यं गुरवे तन्निवेदयेत् ।
भुञ्जीत यद्यनुज्ञातो नो चेदुपवसेत् क्‍वचित् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मचारी को सुबह और शाम भिक्षा मांगने जाना चाहिए और जो कुछ भी भिक्षा में मिले उसे गुरुजी को देना चाहिए। उसे तभी खाना चाहिए जब गुरुजी उसे खाने का आदेश दें, नहीं तो अगर कभी गुरुजी आदेश न दें, तो उसे कभी-कभी उपवास भी करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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