श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  7.12.4 
 
 
मेखलाजिनवासांसि जटादण्डकमण्डलून् ।
बिभृयादुपवीतं च दर्भपाणिर्यथोदितम् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने हाथ में शुद्ध कुश घास लेकर ब्रह्मचारी को नित्य प्रति मूँज की मेखला और मृगछाला का वस्त्र पहनना चाहिए। शास्त्रों में बताए अनुसार उसे जटा रखनी चाहिए, दंड धारण करना चाहिए, कमंडल रखना चाहिए, और यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.