श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  7.12.24 
 
 
आत्मन्यग्नीन् समारोप्य सन्न्यस्याहं ममात्मताम् ।
कारणेषु न्यसेत् सम्यक्सङ्घातं तु यथार्हत: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  व्यक्ति को अपनी आत्मा में अग्नि तत्व को अच्छी तरह से धारण करना चाहिए और इस प्रकार शारीरिक ममता को छोड़ देना चाहिए जिसके कारण वह शरीर को स्वयं या अपनी आत्मा समझता है। उसे धीरे-धीरे अपने भौतिक शरीर को पाँच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) में विलीन कर देना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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