श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  7.12.23 
 
 
यदाकल्प: स्वक्रियायां व्याधिभिर्जरयाथवा ।
आन्वीक्षिक्यां वा विद्यायां कुर्यादनशनादिकम् ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  जब बीमारी या बुढ़ापे के कारण कोई व्यक्ति आध्यात्मिक चेतना की उन्नति करने या वेदों के अध्ययन में अपने नियत कार्यों को करने में असमर्थ हो जाए, तो उसे अन्न न खाने के व्रत का अभ्यास करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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