श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  7.12.22 
 
 
चरेद्वने द्वादशाब्दानष्टौ वा चतुरो मुनि: ।
द्वावेकं वा यथा बुद्धिर्न विपद्येत कृच्छ्रत: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  अत्यधिक विचार और चिंतन करने वाले वानप्रस्थी को बारह वर्ष, आठ वर्ष, चार वर्ष, दो वर्ष या कम से कम एक वर्ष तक जंगल में रहना चाहिए। उसे इस प्रकार व्यवहार करना चाहिए कि अत्याधिक तप के कारण उसका मन विचलित या परेशान न हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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