श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.12.21 
 
 
केशरोमनखश्मश्रुमलानि जटिलो दधत् ।
कमण्डल्वजिने दण्डवल्कलाग्निपरिच्छदान् ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  वानप्रस्थ को चाहिए कि अपने सिर पर जटाएं रखे और अपने शरीर के बाल, नाखून और मूंछें बढ़ने दे। उसे अपने शरीर की गंदगी को न साफ करे। उसे एक कमंडल, मृग की खाल और डंडा रखना चाहिए, पेड़ की छाल का आवरण पहनना चाहिए और आग जैसे रंग (गेरुआ) के कपड़े का उपयोग करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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