श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  7.12.2 
 
 
सायं प्रातरुपासीत गुर्वग्‍न्यर्कसुरोत्तमान् ।
सन्ध्ये उभे च यतवाग्जपन्ब्रह्म समाहित: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  दिन और रात के मिलन के समय अर्थात् सुबह और शाम के वक्त उसे गुरु, अग्नि, सूर्यदेव और भगवान विष्णु के विचारों में डूब जाना चाहिए और गायत्री मंत्र का जाप करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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