वन्यैश्चरुपुरोडाशान् निर्वपेत् कालचोदितान् ।
लब्धे नवे नवेऽन्नाद्ये पुराणं च परित्यजेत् ॥ १९ ॥
अनुवाद
जंगल में जो फल और अनाज अपने आप उगते हैं, वानप्रस्थ को उन्हें पुरोडाश के तौर पर यज्ञ में अर्पित करना चाहिए। जब उसे थोड़ा–बहुत नया अनाज मिल जाए, तो पुराने अनाज को त्याग देना चाहिए।