वानप्रस्थस्य वक्ष्यामि नियमान्मुनिसम्मतान् ।
यानास्थाय मुनिर्गच्छेदृषिलोकमुहाञ्जसा ॥ १७ ॥
अनुवाद
हे राजा, अब मैं वानप्रस्थ की विशेषताओं का वर्णन करूँगा, जो कि गृहस्थ जीवन से मुक्ति है। वानप्रस्थ के नियमों और विधानों का कड़ाई से पालन करते हुए वह आसानी से महर्लोक नामक ऊपरी लोक में पहुँच सकता है।