श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 12: पूर्ण समाज : चार आध्यात्मिक वर्ग  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.12.15 
 
 
अग्नौ गुरावात्मनि च सर्वभूतेष्वधोक्षजम् ।
भूतै: स्वधामभि: पश्येदप्रविष्टं प्रविष्टवत् ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  किसी भी प्राणी को यह समझ लेना चाहिए कि भगवान विष्णु अग्नि में, गुरु में, स्वयं में तथा समस्त जीवों में प्रत्येक स्थिति और परिस्थिति में होते हुए भी नहीं होते हैं। वे पूर्ण नियामक रूप में प्रत्येक वस्तु के अंदर और बाहर होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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