श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  7.11.5 
 
 
श्रीनारद उवाच
नत्वा भगवतेऽजाय लोकानां धर्मसेतवे ।
वक्ष्ये सनातनं धर्मं नारायणमुखाच्छ्रुतम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री नारद जी कहते हैं: सबसे पहले रक्षक के रूप में सर्वप्रथम भगवान् कृष्ण को नमन करते हुए, जो समस्त जीवों के धार्मिक सिद्धांतों के रक्षक हैं, उस नित्य धार्मिक प्रथा (सनातन धर्म) के सिद्धांतों को बताता हूँ जो मैंने नारायण के मुख से सुने हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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