श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  7.11.35 
 
 
यस्य यल्लक्षणं प्रोक्तं पुंसो वर्णाभिव्यञ्जकम् ।
यदन्यत्रापि द‍ृश्येत तत्तेनैव विनिर्दिशेत् ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि कोई व्यक्ति उपर्युक्त प्रकार से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र के लक्षण प्रदर्शित करता है, तो उसे वर्गीकरण के उन लक्षणों के अनुसार स्वीकार किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी अन्य जाति में क्यों न पैदा हुआ हो।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध सात के अंतर्गत ग्यारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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