यदि कोई व्यक्ति उपर्युक्त प्रकार से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र के लक्षण प्रदर्शित करता है, तो उसे वर्गीकरण के उन लक्षणों के अनुसार स्वीकार किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी अन्य जाति में क्यों न पैदा हुआ हो।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध सात के अंतर्गत ग्यारहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।