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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण
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श्लोक 30
श्लोक
7.11.30
वृत्ति: सङ्करजातीनां तत्तत्कुलकृता भवेत् ।
अचौराणामपापानामन्त्यजान्तेवसायिनाम् ॥ ३० ॥
अनुवाद
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संकर जातियों में से जो चोरी नहीं करते हैं वे अन्सासाथी या चाण्डाल (कुत्ता खाने वाले) कहलाते हैं और उनके कुल में चले आने वाले रीति-रिवाज होते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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