साध्वी स्त्री को स्वार्थी नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे हर परिस्थिति में संतुष्ट रहना चाहिए। उसे घर के काम-काज में कुशल होना चाहिए और धार्मिक सिद्धांतों से भली-भांति परिचित होना चाहिए। उसे मधुर और सत्य बोलना चाहिए, सावधान रहना चाहिए और हमेशा शुद्ध और पवित्र रहना चाहिए। इस प्रकार एक साध्वी स्त्री को अपने पति की, जो कि पतित नहीं है, प्रेमपूर्वक सेवा करनी चाहिए।