श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 26-27
 
 
श्लोक  7.11.26-27 
 
 
सम्मार्जनोपलेपाभ्यां गृहमण्डनवर्तनै: ।
स्वयं च मण्डिता नित्यं परिमृष्टपरिच्छदा ॥ २६ ॥
कामैरुच्चावचै: साध्वी प्रश्रयेण दमेन च ।
वाक्यै: सत्यै: प्रियै: प्रेम्णा काले काले भजेत्पतिम् ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  एक सती स्त्री को अपने पति के आनंद के लिए अपने आप को अच्छे कपड़ों से सजाना चाहिए और सोने के आभूषणों से सजना चाहिए। हमेशा साफ और आकर्षक कपड़े पहनने चाहिए। अपने घर को साफ़ करना चाहिए और पानी और अन्य तरल पदार्थों से धोना चाहिए ताकि पूरा घर हमेशा शुद्ध और स्वच्छ रहे। उसे घरेलू सामान इकट्ठा करना चाहिए और घर को हमेशा अगरबत्ती और फूलों से सुगंधित रखना चाहिए और अपने पति की इच्छाओं को पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक सती स्त्री को विनम्र और सच्चा होना चाहिए, अपनी इंद्रियों को काबू में रखना चाहिए और मीठे शब्दों में बोलना चाहिए, समय और परिस्थितियों के अनुसार अपने पति की सेवा में प्यार से लगना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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