श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  7.11.25 
 
 
स्त्रीणां च पतिदेवानां तच्छुश्रूषानुकूलता ।
तद्बन्धुष्वनुवृत्तिश्च नित्यं तद्‌व्रतधारणम् ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  पति की सेवा करना, अपने पति के लिए सदा अनुकूल रहना, पति के संबंधियों और मित्रों के प्रति भी समान रूप से अनुकूल रहना और पति के व्रतों का पालन करना—ये चार नियम पतिव्रता स्त्री के लिए पालनीय हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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