श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  7.11.22 
 
 
शौर्यं वीर्यं धृतिस्तेजस्त्यागश्चात्मजय: क्षमा ।
ब्रह्मण्यता प्रसादश्च सत्यं च क्षत्रलक्षणम् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  युद्ध में प्रतापी, अपराजित, धैर्यशाली, तेजस्वी और दानशील होना, शारीरिक आवश्यकताओं को नियंत्रण में रखना, क्षमा करना, ब्राह्मण गुणों से युक्त होना और हमेशा हंसमुख तथा सत्यवादी होना—ये क्षत्रिय के लक्षण हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.