श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 11: पूर्ण समाज: चातुर्वर्ण  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  7.11.15 
 
 
वैश्यस्तु वार्तावृत्ति: स्यान्नित्यं ब्रह्मकुलानुग: ।
शूद्रस्य द्विजशुश्रूषा वृत्तिश्च स्वामिनो भवेत् ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  व्यवसायी वर्ग को सदैव ब्राह्मणों के मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए और कृषि, व्यापार तथा गायों की सुरक्षा जैसे कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए। शूद्रों के लिए एकमात्र कर्त्तव्य है किसी उच्च वर्ण के व्यक्ति को स्वामी स्वीकारना और उनकी सेवा करना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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