श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.10.9 
 
 
विमुञ्चति यदा कामान्मानवो मनसि स्थितान् ।
तर्ह्येव पुण्डरीकाक्ष भगवत्त्वाय कल्पते ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, जब कोई मनुष्य अपने मन की सभी भौतिक इच्छाओं को त्यागने में सक्षम हो जाता है, तो वह तुम्हारे समान ही धन-संपत्ति और ऐश्वर्य का अधिकारी बन जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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