इन्द्रियाणि मन: प्राण आत्मा धर्मो धृतिर्मति: ।
ह्री: श्रीस्तेज: स्मृति: सत्यं यस्य नश्यन्ति जन्मना ॥ ८ ॥
अनुवाद
हे भगवान, जन्म के समय से ही काम-वासनाओं के कारण मनुष्य की इंद्रियाँ, मन, जीवन, शरीर, धर्म, धैर्य, बुद्धि, लज्जा, ऐश्वर्य, बल, स्मृति और सच्चाई नष्ट हो जाती है।