श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 68
 
 
श्लोक  7.10.68 
 
 
दिवि दुन्दुभयो नेदुर्विमानशतसङ्कुला: ।
देवर्षिपितृसिद्धेशा जयेति कुसुमोत्करै: ।
अवाकिरञ्जगुर्हृष्टा ननृतुश्चाप्सरोगणा: ॥ ६८ ॥
 
अनुवाद
 
   तब आकाश में अपने-अपने विमानों में विराजित उच्चलोकों के निवासी झंकारदार दुन्दुभियाँ बजाने लगे। देवता, ऋषि, पितर, सिद्ध और विभिन्न महान विभूतियाँ शिव जी के ऊपर पुष्पों की वर्षा करते हुए विजयी होने की कामना करने लगे। तत्पश्चात, अप्सराएँ अत्यंत प्रसन्न होकर नाचने और गाने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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