नारद मुनि ने आगे कहा - तत्पश्चात् कृष्ण ने अपनी निजी शक्ति से, जो धर्म, ज्ञान, त्याग, ऐश्वर्य, तपस्या, विद्या एवं कर्म से युक्त थी, शिवजी को सभी प्रकार की साज-सामग्री से- जैसे रथ, सारथी, ध्वजा, घोड़े, हाथी, धनुष, ढाल एवं बाण से संयुक्त कर दिया | इस प्रकार से संयुक्त होकर शिव जी अपने धनुष-बाण द्वारा असुरों से युद्ध करने के लिए रथ पर बैठ गए |