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अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद
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श्लोक 62
श्लोक
7.10.62
वत्सश्चासीत्तदा ब्रह्मा स्वयं विष्णुरयं हि गौ: ।
प्रविश्य त्रिपुरं काले रसकूपामृतं पपौ ॥ ६२ ॥
अनुवाद
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तब ब्रह्मा जी एक बछड़ा बने और भगवान विष्णु एक गाय बने और दोपहर के समय घरों में घुसे और कुएं का सारा अमृत पी गये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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