श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 58
 
 
श्लोक  7.10.58 
 
 
ततोऽग्निवर्णा इषव उत्पेतु: सूर्यमण्डलात् ।
यथा मयूखसन्दोहा नाद‍ृश्यन्त पुरो यत: ॥ ५८ ॥
 
अनुवाद
 
  शिवजी द्वारा छोड़े गये बाण सूर्यमण्डल से निकलने वाली प्रज्ज्वलित किरणों के समान प्रतीत हो रहे थे। उनके द्वारा वो तीनों आवास-रूपी विमान इस प्रकार ढक गए कि अब उन्हें देखा ही नहीं जा सकता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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