वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद
»
श्लोक 57
श्लोक
7.10.57
अथानुगृह्य भगवान्मा भैष्टेति सुरान्विभु: ।
शरं धनुषि सन्धाय पुरेष्वस्त्रं व्यमुञ्चत ॥ ५७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
अत्यंत शक्तिशाली और समर्थ भगवान शिव ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा, "डरो मत।" इसके बाद उन्होंने अपने धनुष पर बाण चढ़ाकर आसुरी निवासों की ओर छोड़ दिए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.