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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद
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श्लोक 52
श्लोक
7.10.52
राजोवाच
कस्मिन्कर्मणि देवस्य मयोऽहञ्जगदीशितु: ।
यथा चोपचिता कीर्ति: कृष्णेनानेन कथ्यताम् ॥ ५२ ॥
अनुवाद
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महाराज युधिष्ठिर ने पूछा: किस कारण से मय दानव ने शिवजी की कीर्ति को नष्ट किया? किस तरह भगवान कृष्ण ने शिवजी की रक्षा की? और किस तरह उनकी कीर्ति का फिर से विस्तार किया? कृपया इन घटनाओं को बखान करें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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