श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  7.10.51 
 
 
स एष भगवान् राजन्व्यतनोद्विहतं यश: ।
पुरा रुद्रस्य देवस्य मयेनानन्तमायिना ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन युधिष्ठिर, अतीत काल में मय नामक एक दानव था जो तकनीकी ज्ञान में बहुत ही कुशल था। उसने शिवजी के यश पर आघात किया। उस स्थिति में भगवान् श्रीकृष्ण ने शिवजी की रक्षा की थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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