श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  7.10.47 
 
 
एतद्य आदिपुरुषस्य मृगेन्द्रलीलां
दैत्येन्द्रयूथपवधं प्रयत: पठेत ।
दैत्यात्मजस्य च सतां प्रवरस्य पुण्यं
श्रुत्वानुभावमकुतोभयमेति लोकम् ॥ ४७ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रह्लाद महाराज भक्तों में श्रेष्ठतम थे। जो कोई भी प्रह्लाद महाराज के चरित्र, हिरण्यकश्यप के वध और सर्वोच्च ईश्वर श्री नृसिंहदेव की लीलाओं को ध्यानपूर्वक सुनता है, वह बिना किसी चिंता के आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश कर जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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