श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  7.10.45 
 
 
धर्मो भागवतानां च भगवान्येन गम्यते ।
आख्यानेऽस्मिन्समाम्नातमाध्यात्मिकमशेषत: ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  जिन धर्म के सिद्धांतों से भगवान को वास्तव में समझा जा सकता है, वो भागवत धर्म कहलाता है। इस लिए इस कथा में इन सिद्धांतों के समावेश होने से वास्तविक अध्यात्म का बहुत अच्छे से वर्णन हुआ है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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