धर्मो भागवतानां च भगवान्येन गम्यते ।
आख्यानेऽस्मिन्समाम्नातमाध्यात्मिकमशेषत: ॥ ४५ ॥
अनुवाद
जिन धर्म के सिद्धांतों से भगवान को वास्तव में समझा जा सकता है, वो भागवत धर्म कहलाता है। इस लिए इस कथा में इन सिद्धांतों के समावेश होने से वास्तविक अध्यात्म का बहुत अच्छे से वर्णन हुआ है।