श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  7.10.42 
 
 
एषा ब्रह्मण्यदेवस्य कृष्णस्य च महात्मन: ।
अवतारकथा पुण्या वधो यत्रादिदैत्ययो: ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री कृष्ण भगवान् के सम्बन्ध में इस कथा में भगवान् के विस्तृत रूप से अलग-अलग अवतारों का वर्णन किया गया हैं। इसके साथ ही इस कथा में हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु नाम के दो असुरों के वध का भी वर्णन किया गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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