श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  7.10.38 
 
 
ताविहाथ पुनर्जातौ शिशुपालकरूषजौ ।
हरौ वैरानुबन्धेन पश्यतस्ते समीयतु: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  दोनों ने मानव समाज में फिर से शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्म लिया और भगवान से वैसा ही द्वेषपूर्ण व्यवहार जारी रखा। ये वही थे जो तुम्हारी उपस्थिति में भगवान के शरीर में समा गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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