श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  7.10.34 
 
 
प्रतिनन्द्य ततो देवा: प्रयुज्य परमाशिष: ।
स्वधामानि ययू राजन्ब्रह्माद्या: प्रतिपूजिता: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा युधिष्ठिर, जब प्रह्लाद महाराज ने ब्रह्माजी के नेतृत्व में सभी देवताओं की यथाविधि पूजा कर ली तब उन सबने उसे आशीर्वाद दिया और उसके पश्चात वे अपने-अपने धामों में चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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