वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद
»
श्लोक 34
श्लोक
7.10.34
प्रतिनन्द्य ततो देवा: प्रयुज्य परमाशिष: ।
स्वधामानि ययू राजन्ब्रह्माद्या: प्रतिपूजिता: ॥ ३४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे राजा युधिष्ठिर, जब प्रह्लाद महाराज ने ब्रह्माजी के नेतृत्व में सभी देवताओं की यथाविधि पूजा कर ली तब उन सबने उसे आशीर्वाद दिया और उसके पश्चात वे अपने-अपने धामों में चले गए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.