श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  7.10.33 
 
 
तत: काव्यादिभि: सार्धं मुनिभि: कमलासन: ।
दैत्यानां दानवानां च प्रह्रादमकरोत्पतिम् ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  तदनंतर कमल के आसन पर विराजमान ब्रह्माजी ने, शुक्राचार्य एवं अन्य महान संतों सहित, प्रह्लाद को पूरे ब्रह्माण्ड के सभी असुरों और दानवों का राजा बना दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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