श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  7.10.32 
 
 
तत: सम्पूज्य शिरसा ववन्दे परमेष्ठिनम् ।
भवं प्रजापतीन्देवान्प्रह्रादो भगवत्कला: ॥ ३२ ॥
 
अनुवाद
 
  तब प्रह्लाद महाराज ने भगवान के अंश रूप समस्त देवताओं, जैसे ब्रह्मा, शिव तथा प्रजापतियों की पूजा और स्तुति की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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