श्रीनारद उवाच
इत्युक्त्वा भगवान् राजंस्ततश्चान्तर्दधे हरि: ।
अदृश्य: सर्वभूतानां पूजित: परमेष्ठिना ॥ ३१ ॥
अनुवाद
नारद मुनि ने कहा : हे राजन युधिष्ठिर, भगवान ने साधारण मनुष्य को नज़र नहीं आते, उन्होंने ब्रह्मा को उपदेश देते हुए इस प्रकार से बातें कीं। तब ब्रह्मा ने उनकी आराधना की और भगवान उस स्थान से अदृश्य हो गये।