श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  7.10.30 
 
 
श्रीभगवानुवाच
मैवं विभोऽसुराणां ते प्रदेय: पद्मसम्भव ।
वर: क्रूरनिसर्गाणामहीनाममृतं यथा ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा: हे ब्रह्मा, हे कमल पुष्प से उत्पन्न महान्प्रभु, जिस तरह साँप को दूध पिलाना खतरनाक है, उसी तरह असुरों को वरदान देना खतरनाक है जो स्वभाव से क्रूर और ईर्ष्यालु होते हैं। मैं आपको चेतावनी देता हूँ कि आप फिर कभी किसी असुर को ऐसा वरदान न दें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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