श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  7.10.29 
 
 
एतद् वपुस्ते भगवन्ध्यायत: परमात्मन: ।
सर्वतो गोप्तृ सन्त्रासान्मृत्योरपि जिघांसत: ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, हे परमपुरुषोत्तम भगवान! आप परमात्मा हैं। यदि कोई आपके परम दिव्य शरीर का ध्यान करता है, तो आप उसे सभी तरह के भय से, यहाँ तक कि मृत्यु के निकट आते हुए खतरे से भी, बचाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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