श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  7.10.28 
 
 
दिष्टय‍ा तत्तनय: साधुर्महाभागवतोऽर्भक: ।
त्वया विमोचितो मृत्योर्दिष्टय‍ा त्वां समितोऽधुना ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद महाराज को बड़े सौभाग्य से मौत से बचा लिया गया है और यद्यपि वह एक बच्चा है, किंतु वह एक महान भक्त है। अब वह पूर्ण रूप से आपके चरण कमलों की शरण में है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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