श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  7.10.25 
 
 
प्रसादसुमुखं द‍ृष्ट्वा ब्रह्मा नरहरिं हरिम् ।
स्तुत्वा वाग्भि: पवित्राभि: प्राह देवादिभिर्वृत: ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  भागवान श्रीहरि की कृपा से सभी देवतागण प्रसन्न एवं तेजोमय नजर आ रहे थे। उसी समय ब्रह्माजी ने दिव्य स्त्रोतों से भगवान की स्तुति की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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