श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  7.10.24 
 
 
श्रीनारद उवाच
प्रह्रादोऽपि तथा चक्रे पितुर्यत्साम्परायिकम् ।
यथाह भगवान् राजन्नभिषिक्तो द्विजातिभि: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री नारद मुनि जी ने आगे कहा, भगवान की आज्ञा का पालन करते हुए प्रह्लाद महाराज ने अपने पिता की अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी की। हे राजा युधिष्ठिर, उसके बाद ब्राह्मणों के निर्देश के अनुसार हीरण्यकशिपु के राज्य सिंहासन पर बिठाया गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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