श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  7.10.22 
 
 
कुरु त्वं प्रेतकृत्यानि पितु: पूतस्य सर्वश: ।
मदङ्गस्पर्शनेनाङ्ग लोकान्यास्यति सुप्रजा: ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  मेरे बालक, तुम्हारे पिता अपनी मृत्यु के समय मेरे शरीर के स्पर्श से पहले ही पवित्र हो गये थे। फिर भी, एक पुत्र का कर्तव्य है कि वह अपने पिता के देहांत के बाद श्राद्ध संस्कार करे ताकि उनके पिता को ऐसे लोक मिल जाएँ जहाँ वह अच्छे नागरिक और भक्त बन सकें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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