श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.10.19 
 
 
यत्र यत्र च मद्भ‍क्ता: प्रशान्ता: समदर्शिन: ।
साधव: समुदाचारास्ते पूयन्तेऽपि कीकटा: ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  जहाँ-जहाँ शान्त, समदर्शी, सदाचारी तथा सद्गुणसम्पन्न भक्त होते हैं, वहाँ का देश और वहाँ का राजवंश भले ही गर्हित क्यों न हो, पवित्र हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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