श्रीभगवानुवाच
त्रि:सप्तभि: पिता पूत: पितृभि: सह तेऽनघ ।
यत्साधोऽस्य कुले जातो भवान्वै कुलपावन: ॥ १८ ॥
अनुवाद
भगवान बोले: हे परम पवित्र और साधु पुरुष, तुम्हारे पिता और तुम्हारे कुल के अन्य इक्कीस पुरखे तुम्हारे द्वारा पवित्र हुए हैं। क्योंकि तुम इस कुल में उत्पन्न हुए थे, इसलिए तुम्हारे पूरे कुल का उद्धार हो गया है।