श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.10.14 
 
 
य एतत्कीर्तयेन्मह्यं त्वया गीतमिदं नर: ।
त्वां च मां च स्मरन्काले कर्मबन्धात्प्रमुच्यते ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  जो व्यक्ति तुम्हारे तथा मेरे कार्यों का ध्यान रखता है और तुम्हारे द्वारा की गई प्रार्थनाओं को दोहराता है, वह समय के साथ भौतिक कार्यों के परिणामों से मुक्त हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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