प्रिय प्रह्लाद, इस भौतिक जगत में रहकर तुम सुख का अनुभव करते हुए अपने पुण्य कर्मों के फल समाप्त कर दोगे और पुण्य कर्मों से पापकर्मों को समाप्त कर दोगे। काल के कारण तुम्हें शरीर त्यागना होगा, परन्तु तुम्हारे कार्यों का यश ऊपरी ग्रहों तक फैलेगा और सभी बंधनों से मुक्त होकर तुम भगवान के पास लौट सकोगे।