श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  7.10.12 
 
 
कथा मदीया जुषमाण: प्रियास्त्व-
मावेश्य मामात्मनि सन्तमेकम् ।
सर्वेषु भूतेष्वधियज्ञमीशं
यजस्व योगेन च कर्म हिन्वन् ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  भौतिक जगत में रहने पर भी तुम्हें मेरे उपदेश तथा वचन निरन्तर सुनने चाहिए और मेरे ही विचारों में लीन रहना चाहिए, क्योंकि मैं सभी के हृदय में परमात्मा रूप में विराजमान हूँ। अतः, सकाम कर्मों का त्याग कर मेरी पूजा करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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