श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 10: भक्त शिरोमणि प्रह्लाद  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  7.10.1 
 
 
श्रीनारद उवाच
भक्तियोगस्य तत्सर्वमन्तरायतयार्भक: ।
मन्यमानो हृषीकेशं स्मयमान उवाच ह ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  नारद मुनि ने आगे कहा: यद्यपि प्रह्लाद महाराज बालक थे किन्तु जब उन्होंने नृसिंहदेव द्वारा दिये गये वरों को सुना तो उन्होंने इन्हें भक्ति मार्ग में अवरोध समझा। तब उन्होंने विनीत भाव से मुसकाये और इस तरह बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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